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'शैतान की आँख' (1923 ई ) 'विस्मृति के गर्भ से तेली के कोल्हू के बैल ही दुनिया में सब कुछ करते हैं। आधुनिक विज्ञान में चार्ल्स डारविन
वह आँख बंद ।माँ गरम गरम खाना वहीं ले आई । कुमुद को खाने की प्लेट पकड़ा कर उसके लिये पानी लेने चल दी । यह भी भूल गयी कि समीर उसके पहले
समय प्रातःकाल 6 30 बजे स्थान बर्थ सं 18 – a1 पटना-सिकंदराबाद एक्सप्रेस इस पोस्ट को लिखने का तात्कालिक कारण तो इस ए सी कोच का वह ट्वॉएलेट है जिससे निकलकर मैं
एक युवा जिसके कुछ सपने हैं कुछ विशिष्ट विचार एवं संकल्पनाएँ हैं जिसकी कुछ प्रतिमाएँ अभी सामने आनी बाकी हैं और जिसकी चाहत है अपने चारों ओर एक सकारात्मक
छोटा भाई अपने बड़े भाई को भैया कहकर बुलाता था तो उसमें एक तरह की गर्व की भावना भर जाती थी और एक सुरक्षा का भी अहसास होता था। मैं अक्सर डाइनिंग रूम से बाहर
पाकिस्तान की असेंब्ली में जिन्ना ने भी यही कहा था की 'पाकिस्तान सभी धर्मों के लिए हैं'। लेकिन ऐसा नहीं था। ऐसा हुआ भी नहीं। असली दंगे तो आजादी मिलने के
समय प्रातःकाल 6 30 बजे स्थान बर्थ सं 18 – a1 पटना-सिकंदराबाद एक्सप्रेस इस पोस्ट को लिखने का तात्कालिक कारण तो इस ए सी कोच का वह ट्वॉएलेट है जिससे निकलकर मैं
मूंडवे वालों का जलवा (कहानी पंकज सुबीर) सामयिक सरस्वती के अक्टूबर-दिसम्बर 2018 अंक में प्रकाशित
सब ग्रह-उपग्रह आपकी गणनाओं के गुलाम हैं। आप उनके लिए जैसी भी लकीर खीच देते हैं वे उसी के फकीर हो जाते हैं। फिर आँख पर बंधे कोल्हू के बैल की तरह रात दिन एक
एक युवा जिसके कुछ सपने हैं कुछ विशिष्ट विचार एवं संकल्पनाएँ हैं जिसकी कुछ प्रतिमाएँ अभी सामने आनी बाकी हैं और जिसकी चाहत है अपने चारों ओर एक सकारात्मक
मूंडवे वालों का जलवा (कहानी पंकज सुबीर) सामयिक सरस्वती के अक्टूबर-दिसम्बर 2018 अंक में प्रकाशित
2013-12-31बैल कोल्हू की तरह कटती बिचारी जिंदगी किसको पडी है झाँके जो औरों की प्लेट में नहीं उठने का जी करता आँख भी खुल न पाती है
महिला रचनाकारों के लिए है |कृपया अपनी मौलिक रचनाएँ अथवा साहित्य की अच्छी रचनाएँ जो आप मित्रों से साझा करना चाहते हैं वे भी भेज सकते है |साहित्य की
2013-12-31बैल कोल्हू की तरह कटती बिचारी जिंदगी किसको पडी है झाँके जो औरों की प्लेट में नहीं उठने का जी करता आँख भी खुल न पाती है
वह आँख बंद ।माँ गरम गरम खाना वहीं ले आई । कुमुद को खाने की प्लेट पकड़ा कर उसके लिये पानी लेने चल दी । यह भी भूल गयी कि समीर उसके पहले
"आप अंदर जा सकती हैं" चपरासी की आवाज़ सुनकर शालिनी की तंद्रा टूटी। नेमप्लेट पर "प्राचार्या शारदा देवी" लिखा देख कर वह अतीत में खो गई थी। वह धीरे से उठी
पत्नी को बेढंगे तरीके से पैर से ठेलकर कवि ने उठाया । पत्नी भकुआई आँख मलती उठी । बेसऊर फूहड़ थी पर गृहस्थिन थी सो उठी और चाय बना लाई फिर आँचल कमर में कस
पत्नी को बेढंगे तरीके से पैर से ठेलकर कवि ने उठाया । पत्नी भकुआई आँख मलती उठी । बेसऊर फूहड़ थी पर गृहस्थिन थी सो उठी और चाय बना लाई फिर आँचल कमर में कस
हमेशा मेरी प्लेट के समोसे भी खा जाया करती थी पूरा कोल्हू का बैल है वह। मैं भी कुल्ला कर बैठते ही आँख बंद कर लेते हो
वह आँख बंद ।माँ गरम गरम खाना वहीं ले आई । कुमुद को खाने की प्लेट पकड़ा कर उसके लिये पानी लेने चल दी । यह भी भूल गयी कि समीर उसके पहले
इन दिनों आप हर सोमवार को युवा कहानीकारों की कहानियों का आनंद ले रहे हैं। अब तक हम आपको शशिभूषण द्विवेदी की कहानी 'एक बूढ़े की मौत' और गौरव सोलंकी की कहानी
सब ग्रह-उपग्रह आपकी गणनाओं के गुलाम हैं। आप उनके लिए जैसी भी लकीर खीच देते हैं वे उसी के फकीर हो जाते हैं। फिर आँख पर बंधे कोल्हू के बैल की तरह रात दिन एक
पाकिस्तान की असेंब्ली में जिन्ना ने भी यही कहा था की 'पाकिस्तान सभी धर्मों के लिए हैं'। लेकिन ऐसा नहीं था। ऐसा हुआ भी नहीं। असली दंगे तो आजादी मिलने के
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