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एक वक्त आता है जब आप सिर्फ शब्दों के बाजीगर बन जाते हैं आप एक मायने में कायर और ढोंगी हो जाते हैं आप नि शब्द रहना चाहते हैं पर उसके लिए भी शब्द तलाशते हैं
कर्नाटक की करीब 66 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है और लगभग 56 प्रतिशत श्रम शक्ति कृषि और इससे संबंधित गतिविधियों में लगी है। राज्य के कुल 1 90 49 836 हेक्टेयर
Aug 16 2011अमावस में रोशनी की कौंध जगाती है उम्मीद हल और कोल्हू चलते 144 जैसे औपनिवेशिक कानून का आज के जनतांत्रिक भारत में कोई मतलब नहीं हो
मज़दूर भाइयों और बहनों को पशुवत जीवन को ही अपनी नियति मान लेने की आदत को छोड़ देना चाहिए। हम भी इन्सान हैं। और हमें इन्सानों जैसी ज़िन्दगी के लिए ज़रूरी
24 घंटे की सेवा सेवा की पूरी प्रक्रिया जीवन भर सेवा उत्पादन स्थापना में लागू करने कमीशन और पूरी प्रक्रिया के रखरखाव।
थाली में जहर भारत कृषि प्रधान देश है। देश की बहुत बड़ी आबादी की रोजी रोटी खेती के सहारे है। एक मान्यता जो सच्चाई पर आधारित है कि कृषि देश की
शिक्षा की तार्किकता पर विचार करने का सही समय गणित कुछ बच्चों की शिक्षा के हिसाब-किताब को गड़बड़ा देता है अब अदालत ने इसे बदलने को कहा है। हा ल ही में
8/18/2019भारतीय संदर्भ में प्राचीन काल में इस स्तर के व्यक्ति को परमाचार्य के उपाधि की परम्परा थी पर वर्तमान के वैश्विक मानको के अनुरुप शैक्षणिक डाक्टरेट
कृत्रिम चेतना वास्तव में कुछ भी नहीं है। यह मनुष्य की चेतना का ही विस्तार है। यह स्वचालन की ही एक नयी मंजिल है। कुछ मानवीय कार्यों को जो कि पूर्वाकलित
लोकमान्य तिलक जी ने महाराष्ट्र में गणेश सत्यनारायण की कथा आदि में संगठनात्मक विचार गोष्ठी का रुप दिया था। उसी तरह इस समाज के तरफ
कौओं की जमात में उल्लू की दशा हो वहाँ कमलाकांत उपाध्याय की वही दशा हो रही थी। 'मुझे उल्लू ही तो बनाया जा रहा है।' -उन्होंने सोचा। कुछ
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आज कुछ वैसा ही हो रहा है जैसा कि 1876 में हुआ था। जब समूचे दक्षिण भारत में खरीफ की फसलें सूख रहीं थीं तब वायसराय लॉर्ड लिट्टन इंग्लैण्ड
10/9/2015वर्ष 2008-09 के चौथे पूर्व आकलन के अनुसार खाद्यान्न का उत्पादन 238 88 करोड़ टन होने का अनुमान है। ये पिछले वर्ष की तुलना में 1 करोड़ 3 1 लाख टन
amrut-सैप वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 में रिफार्म इन्सेन्टिव मद में प्राप्त धनराशि में से अवशेष धनराशि रू0 10121 00 लाख की स्वीकृति।
A blog about social networking and web design भूमि ढकाव में हम बरसात के अंत में जब ये फसलें पूरी तरह बढ़ जाती हैं उसमे 2 से 4 किलो प्रति एकड़ की दर से अल्फ़ा अल्फ़ा जो रिजका या लूसर्न
3/28/2019दलितों और आदिवासियों की स्थिति के बारे में जो भी कहा जाये वह कम ही होगा। आरक्षण की नीति के कई दशकों बाद भी कुल ग्रामीण दलित आबादी का 71
अमावस में रोशनी की आती है। जहां अभी तीन महीने पहले पहले लाखों की लागत 144 जैसे औपनिवेशिक कानून का आज के जनतांत्रिक भारत में
Mar 17 20161857 के स्वतंत्रता विप्लव की असफलता के बाद अंग्रेजो ने पहले तो रणनीति के अनुसार देश में ऐसा दमन - चक्र चलाया कि आंधिया उठ गयी विरोध की पसलिया टूट गयी और