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वही सारी कहानियाँ जो स्कूल और कॉलेज के टाइम में पढ़ी थीं एक बार फिर बांचते हैं (All stories taken from the Internet Handpicked by gabbbarsingh dreamworkers)
11 साल आर्य समाजी रहे गाजी महमूद धर्मपाल का जिकर सनातन धर्म के ज्वाला प्रशाद मिश्र की सत्यार्थ प्रकाश के 1913 में प्रकाशित जवाब में लिखी गयी किताब
7/22/2016मनुष्य के जीवन में अगर कोई सर्वाधिक अविश्वसनीय बात है तो वह यह है कि मनुष्य अनुभव से कुछ सीखता ही नहीं। उन्हीं—उन्हीं भूलों को दोहराता है। भूले भी नई
एक समय की बात है कि जंगल में एक शेर के पैर में काँटा चुभ गया। पंजे में जख्म हो गया और शेर के लिए दौडना असंभव हो गया। वह लंगडाकर मुश्किल
कितनी नावों में कितनी बार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय 1 उधार सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी। मैनें धूप से कहा
10/24/2018लेकिन हम मरने के पहले ही जानना बंद कर देते हैं। आमतौर से बीस साल के इक्कीस साल के करीब आदमी की बुद्धि ठप हो जाती है। उसके बाद बुद्धि
काँच के लिए एक छोटा पत्थर काफी है कमलाकांत जी! क्रांति के लिए जरूरी को अउर सुविदा हो जायेगी। अब भी दुर्धर्ष चट्टान की तरह दीख रहे
10/24/2018लेकिन हम मरने के पहले ही जानना बंद कर देते हैं। आमतौर से बीस साल के इक्कीस साल के करीब आदमी की बुद्धि ठप हो जाती है। उसके बाद बुद्धि
उस संध्या के लिए हमे एक ऐसे धनिक की तलाश थी जो खर्चे के लिए पैसे दे सके ! हमने मित्रों से चर्चा की हमारा एक बेवडा मित्र हमे एक दारु के
लिंग के निर्माण में आई कठिनाई और उसका हल -हिंदी में लिंग के निर्णय का आधार संस्कृत के नियम ही हैं। संस्कृत में हिंदी से अलग एक तीसरा लिंग भी है जिसे
अब यह कमलाकांत के सिर के चारों ओर अधर में जलने लगी चाँद के प्रभामंडल की तरह या परीक्षा के लिए तैयार अनलचक्र की तरह
पल-भर के लिए वह बड़े हो गए और अपने गाँव की ओर रुख किया। चारों तरफ सोता पड़ गया था। कुत्ते भी नहीं भौंक रहे थे। उनका गाँव गोलाकार बसा हुआ
समालोचन साहित्य की वेब पत्रिका है प्रकाशन के लिए स्तरीय अप्रकाशित रचनाएँ ही विचारयोग्य हैं प्रकाशन के लिए रचनाएँ वर्ड फाइल तथा यूनिकोड हिंदी फॉट
कितनी नावों में कितनी बार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय 1 उधार सवेरे उठा तो धूप खिल कर छा गई थी और एक चिड़िया अभी-अभी गा गई थी। मैनें धूप से कहा
वही सारी कहानियाँ जो स्कूल और कॉलेज के टाइम में पढ़ी थीं एक बार फिर बांचते हैं (All stories taken from the Internet Handpicked by gabbbarsingh dreamworkers)
थोड़ी देर की तन्मयता के बाद वह बोला " तूने मुझे जो बक्सा दिया है उसमें एक अच्छाई है - रात को वह मेरी भेड़ के लिए घर का काम देगा।"
राकेश तिवारी को मैं एक अच्छे पत्रकार लेखक के रूप में जानता पढता रहा हूँ लेकिन उनकी यह कहानी कुछ अलग ही है कुमाऊँ का परिवेश किस्सागोई और मुचि गई
या अच्छी तरह से कहा जाए तो छज्जूमल मूंडवे वाले। मूंडवा से आकर यहाँ बसे थे इसलिए उनके नाम के साथ यह मूंडवे वाले हमेशा के लिए ही जुड़
फागुन का महीना था। किसान ऊख बोने के लिए खेतों पत्थर वाली चट्टान पर आटा गूँधे लेता हूँ। तुम तो गई दोनों पत्थर की सिलों पर
ठाकुर के वफादार कनवारिये के लिए किस बात की कमी! एक की जगह दो हाजिर और यों भोजा समझदार भी काफी था
मालिक द्वारा बिक्री के लिए क्रशर
बिक्री के लिए कोल्हू बाल्टी बाल्टी
कोल्हू पत्थर ठीक कोल्हू मशीन है
कोल्हू उपकरणों के निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं
कोल्हू संयंत्र परियोजना पीडीएफ में
के लिए फैक्टरी मूल्य पर कोल्हू
कोल्हू की कीमत भारतीय रुपये में