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'जी नहीं यह बहाना वहाँ न चलेगा। कहेगी तुम मुझसे पूछकर क्यों नहीं गये। वह अपने सामने गवर्नर को समझती ही क्या है। रूप और यौवन बड़ी चीज है भाई साहब ! आप नहीं
लोग लाइनों में क्यों नहीं लगते ? आखिर यह भागदौड़ कब तक चलेगी ? देश की राजधानी में संसद के सामने धूल कब तक उड़ेगी ? मेरी आँखें बन्द हैं मुझे कुछ दिखाई नहीं �
हाल ही में गेम डेवलपर्स कॉन्फ्रेंस में जबकि इस प्रदर्शनी में उन लड़कियों ने भाग लिया था जो लेगिंग थीं और फोटो की तुलना में कम कपड़े पहने हुए थीं म
मधुमास क्यों नहीं कोल्हू में जुता है--जहां पत्नी ने झपट्टा मारा और खा ही गयी--इसके पहले कि वह कुछ कहे। वह एकदम जवान हो गयी। वह
Oct 11 2019Harivansh Rai Bachchan Poems अर्थात इस आर्टिकल में आप पढेंगे हरिवंशराय बच्चन की कविताएँ हरिवंशराय बच्चन हिन्दी भाषा के एक सर्वोताम्म अवम श्रेष्ठ कवी थे
दिल्ली की दीवाली की एक खास बात यह है कि दशहरे के बाद से ही सड़कों पर पुलिस के बैरिकेड लगने शुरू हो जाते हैं । यह सिलसिला तब से ज्यादा हुआ है जब कुछ वर्ष
क्या वास्तव में आपका ह्रदय परिवर्तन हो गया है और यदि ऐसा है तो यह सब परिवर्तन निरहुआ के चलते तो नहीं हुआ। क्योंकि इस बीच न जाने क्यों
वाक्य में प्रयोग वह कोल्हू का बैल है दिन-भर काम में लगाये रखो तक भी वह थकेगा नहीं। मुहावरा कोसों दूर रहना या भागना
क्यों नहीं पहले बूढा होकर जवान होता है बाद में बच्चा होता है? क्या कारण है कि आँख से दिखाई देता हैं सुनाई नहीं देता क्या कारण है नाक सूंघ सकती है चख नहीं स
अनहोणी होणी नहीं होणी होय सो होय । हिंदी -जो नहीं होना है वह होगा नहीं और होने को टाल नहीं सकते है ।
राकेश तिवारी को मैं एक अच्छे पत्रकार लेखक के रूप में जानता पढता रहा हूँ लेकिन उनकी यह कहानी कुछ अलग ही है कुमाऊँ का परिवेश किस्सागोई और मुचि गई
कोल्हू का बैल खाक छानना ( मारा-मारा फिरना ) - बेरोजगार होने के कारण आजकल वह खाक छानता फिर रहा है। ख्याली पुलाव पकाना ( कल्पना में डूबना ) - समीर पढ़ता तो है न
जाट वंश के बलिदान (पृष्ठ - 325-334) लेखक ने यह लेख जाटवंश के वीरों की कुछ घटनाओं को लेकर ही लिखा है । इसका अर्थ यह नहीं कि अन्य वंशीय लोगों के बलिदानों को भुला
मुहावरे (Idioms) ( इ ) इंद्र की परी (बहुत सुन्दर स्त्री)- राधा तो इंद्र की परी हैं वह तो विश्व सुन्दरी बनेगी। इज्जत उतारना (अपमानित करना)- जब चीनी लेकर पैसे नहीं
कहते हैं किसी समय कलेक्टर के सौ दायित्व होते थे। आज शिक्षक के ही 101 दायित्व हैं। वह आज शिक्षक नहीं "कोल्हू का बैल' बन गया है। वह कारकून यानी बाबू बनकर रह
यहोवा हमारी भलाई के लिए हम पर नज़र रखता है "यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है उनकी सहायता में वह
कहते हैं किसी समय कलेक्टर के सौ दायित्व होते थे। आज शिक्षक के ही 101 दायित्व हैं। वह आज शिक्षक नहीं "कोल्हू का बैल' बन गया है। वह कारकून यानी बाबू बनकर रह
सावरकर ने गाय को कभी ईश्वरीय नहीं माना। उन्होंने कहा था कि जो गाय अपने ही पेशाब में लेटती हो और अपनी पूंछ से अपना पेशाब और गोबर अपने पूरे शरीर पर फैला लेत
तमिलनाडु और कर्नाटक में कोल्हू
दक्षिण अफ्रीका की कीमतों में कोल्हू
कोल्हू रेत कोल्हू निर्माताओं में
में चूना पत्थर मिल के लिए कोल्हू
मिट्टी के लिए पत्थर के लिए कोल्हू
हाइरडाबाद में कोल्हू मशीन निर्माता
ईंट उत्पादन के लिए कोल्हू मशीन
कोल्हू ग्रेनाइट के लिए उपयोग करने के लिए
कोल्हू प्रभाव कोल्हू निर्माता ठीक है